The Single Best Strategy To Use For baglamukhi shabhar mantra
Daily prior to, request the Female's mom to bathe her. Then offer new yellow colour outfits to that girl. The girl need to wear a ‘yellow stole’ and sit over a higher pedestal. The seeker must sit under the pedestal.
ऋषि श्रीअग्नि-वराह द्वारा उपासिता श्रीबगला- मुखी
Meaning- Baglamukhi Beej Appears are Employed in the mantra. It worships the goddess to go away the enemies powerless by immobilising their venomous tongues, feet, and intellect. They won't ever be able to act in opposition to you as soon as their movements are constrained.
श्रीबगला- पटलोक्त ध्यान ( पीताम्बरा ध्यान मंत्र )
Baglamukhi or Bagala is an important deity One of the 10 Mahavidyas worshipped with great devotion in Hinduism. The last word good thing about worshipping Baglamukhi clears the illusions and confusions of the devotees and gives them a transparent route to move forward in life. Goddess Baglamukhi carries a cudgel in her palms to smash the difficulties confronted by her devotees.
पीताम्बर-धरां देवीं द्वि-सहस्त्र-भुजान्विताम । सान्द्र-जिव्हां गदा चास्त्रं, धारयन्तीं शिवां भजे । ।
ॐ ह्लीं बगलामुखि सर्वदुष्टानां वाचं मुखं पदं स्तम्भय जिह्वां कीलय बुद्धिं विनाशय ह्रीं ॐ स्वाहा ।
सुधाब्धौ रत्न-पर्यङ्के, मूले कल्प-तरोस्तथा ।
पीताम्बरां पीत-माल्यां, पीताभरण-भूषिताम् । पीत-कञ्ज-पद-द्वन्द्वां , बगलां चिन्तयेऽनिशम् ।।
शाबर मंत्रों को साधने के विघान कुछ विशेष ही होते है। कुछेक जल में रह कर, कुछ शमशान तिराहे check here पर, चौराहे पर यहाँ सहज ही सरल विधान दे रहे हैं, किसी भी मंगलवार, इतवार,बृहस्पतिवार या अस्टमी को एक दीपक में सरसों के तेल, मीठे तेल या शुद्ध घी के साथ एक चुटकी हल्दी के साथ यह दीपक जलाकर व साघक साधना के समय पिले वस्त्रों को धारण करें और पीला तिलक लगा कर देवी चित्र या मूर्ति का पूजन हल्दी से करें व पीले पुष्प चढ़ाएं और दीपक की लौ में भगवती का ध्यान कर बगलामुखी के मंत्र का एक हजार बार तीनों शाबर मत्रं से कोई भी एक का जप करें तथा पिला ही भोग लगावें इस प्रकार ४३ दिवस तक करने से कार्य में अवश्य ही विजयी प्राप्ति होती है यहा केई बार तो चार ,छै: दिनों में ही सफलता हाथ लगती है।
पीतासनां शव-गतां, घोर-हस्तां स्मिताननाम् । गदारि-रसनां हस्तां, मुद्गरायुध-धारिणीम् ।।
पीताम्बर-धरां देवीं, पीत-पुष्पैरलंकृताम् । बिम्बोष्ठीं चारु-वदनां, मदाघूर्णित-लोचनाम् ।।